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कर्नाटक की मशहूर अभिनेत्री सरोजा देवी का 87 वर्ष की उम्र में निधन

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बेंगलुरु:  मशहूर अभिनेत्री बी सरोजा देवी का सोमवार को बेंगलुरु में उनके आवास पर निधन हो गया। वह 87 वर्ष की थीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार वह उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं और उन्होंने अपने परिवार के बीच अपने आवास पर अंतिम सांस ली। सरोजा देवी का जन्म सात जनवरी, 1938 को हुआ था और अपने छह दशकों से अधिक फिल्मी करियर में उन्होंने कन्नड़, तमिल, तेलुगु, हिंदी और सिंहली में लगभग 200 फिल्मों में अभिनय किया। उन्हें प्यार से ‘अभिनय सरस्वती’ (अभिनय की देवी) कहा जाता था और उन्होंने अपने अभिनय और बहुमुखी प्रतिभा से दर्शकों का दिल जीता।

दक्षिणी भारत में मशहूर

उन्होंने कन्नड़ फिल्म ‘महाकवि कालिदास’ से अभिनय की शुरुआत की जिसके बाद उन्होंने कित्तूर चेन्नम्मा, अन्ना थम्मा, भक्त कनकदास, बाले बंगारा, नागकन्निके, बेट्टादा हूवु और कस्तूरी निवास जैसी फिल्मों में यादगार अभिनय से अपनी एक अमिट छाप छोड़ी। वह नादोदी मन्नन, कर्पूरा करासी, पांडुरंगा महात्यम और थिरुमानम जैसी सुपरहिट फिल्मों के साथ पूरे दक्षिणी भारत में मशहूर हो गईं और उनका स्टारडम कर्नाटक से आगे बढ़कर पूरे दक्षिण भारत में फैल गया।

बॉलीवुड में डेब्यू 

सरोजा देवी ने 1959 में बॉलीवुड में अपना डेब्यू किया और ‘पैगाम’ फिल्म में वह दिलीप कुमार के साथ नजर आईं। इसके बाद उन्होंने ‘ससुराल’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’ और ‘बेटी बेटे’ जैसी हिंदी फिल्मों में काम किया। भारतीय सिनेमा में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें 1969 में पद्मश्री और 1992 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें बैंगलोर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि और तमिलनाडु सरकार से कलैमामणि पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।

देश के कोने-कोने से अभिनेता, फिल्म निर्माता, राजनेता और प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त कर रहे हैं। उनका अंतिम संस्कार बेंगलुरु में होने की उम्मीद है। सरोजा देवी ने अपनी अभिनय प्रतिभा से अमिट छाप छोड़ी है जिसने पीढ़ियों को प्रेरित किया है। उनका निधन भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत है।

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