उत्तराखंड पंचायत चुनाव नतीजे घोषित, बीजेपी की जीत, कांग्रेस की चुनौती बरकरार

देहरादून: उत्तराखंड में हाल ही में संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सबसे अधिक सीटें जीतकर अपना दबदबा बनाए रखा है। हालांकि, निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए कई सीटों पर जीत हासिल की है, जिससे वे कई स्थानों पर सत्ता के समीकरण तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
प्रमुख दलों का प्रदर्शन (जिला पंचायत सदस्य सीटों के आधार पर):
बीजेपी: कुल 124 सीटों पर जीत दर्ज की, जिसमें 101 सीधे बीजेपी उम्मीदवारों ने और 23 बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीतीं।
कांग्रेस: 106 सीटों पर विजयी रही, जिसमें सीधे कांग्रेस उम्मीदवारों ने 64 सीटें और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने 30 सीटें जीतीं।
निर्दलीय: 128 सीटों पर जीत हासिल की। इनमें विभिन्न दलों से जुड़े निर्दलीय प्रत्याशी भी शामिल हैं।
परिणाम का विश्लेषण:
बीजेपी का दबदबा: भले ही निर्दलीय उम्मीदवारों ने बड़ी संख्या में सीटें जीती हों, लेकिन जिला पंचायत सदस्यों की कुल संख्या में बीजेपी और उसके समर्थित उम्मीदवारों को स्पष्ट बढ़त मिली है। इससे यह संकेत मिलता है कि अधिकतर जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर बीजेपी का ही कब्जा होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव में विजयी सभी प्रत्याशियों को बधाई दी है और इसे अपनी सरकार की नीतियों की जीत करार दिया है।
निर्दलीयों का बढ़ता प्रभाव: निर्दलीय उम्मीदवारों ने इस चुनाव में अपनी ताकत का अहसास कराया है। कई जिलों में वे किंगमेकर की भूमिका में होंगे, खासकर जहां किसी भी बड़े दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। यह ग्रामीण स्तर पर स्थानीय मुद्दों और व्यक्तिगत लोकप्रियता के बढ़ते महत्व को दर्शाता है।
कांग्रेस को झटका: आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस को बीजेपी की तुलना में कम सीटों पर जीत मिली है, जो 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले उसके लिए एक चुनौती हो सकती है। हालांकि, कांग्रेस ने भी अपने प्रदर्शन को बेहतर बताया है, खासकर उन सीटों पर जहां उसके समर्थित उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।
महिला मतदान का महत्व: राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस चुनाव में कुल 69.16% मतदान हुआ, जिसमें महिलाओं का मतदान प्रतिशत (74.42%) पुरुषों (64.23%) से काफी अधिक रहा। यह राज्य की राजनीति में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और जागरूकता को दर्शाता है।
पंचायत चुनाव के इन नतीजों को आगामी विधानसभा चुनावों से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक दलों के प्रभाव का एक बैरोमीटर माना जा रहा है।



