उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वैक्सीन वैज्ञानिक की सजा पर लगाई रोक, कहा- ‘देश को उनकी सेवा की जरूरत’

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक वैक्सीन वैज्ञानिक की सजा पर रोक लगा दी है। इस वैज्ञानिक को उनकी पत्नी की आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने कहा है कि उनका काम “सार्वजनिक स्वास्थ्य और राष्ट्रीय हित” के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए उनकी सजा को निलंबित किया जाता है।
मामले का विवरण: यह मामला 2023 का है, जब वैज्ञानिक की पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी। महिला के परिवार ने आरोप लगाया था कि उनके पति ने उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, जिसके कारण उन्होंने यह कदम उठाया। निचली अदालत ने वैज्ञानिक को दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी। इसके बाद वैज्ञानिक ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
हाईकोर्ट का तर्क: हाईकोर्ट ने अपने फैसले में वैज्ञानिक के काम के महत्व पर जोर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपी एक वैक्सीन वैज्ञानिक है और वर्तमान में एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। उसकी विशेषज्ञता और योगदान सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। कोर्ट ने यह भी माना कि अगर वैज्ञानिक को जेल भेज दिया जाता है, तो इससे न केवल उनके करियर को नुकसान होगा, बल्कि देश को भी एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सेवा से वंचित होना पड़ेगा।
सजा पर रोक का आदेश: न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने इस आधार पर वैज्ञानिक की सजा पर रोक लगाने का आदेश दिया। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह केवल सजा पर रोक है, और मामले की सुनवाई जारी रहेगी। वैज्ञानिक को जांच में सहयोग करने और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। इस फैसले से वैज्ञानिक को बड़ी राहत मिली है, जिससे वह अपने महत्वपूर्ण काम पर लौट सकेंगे।



