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आज धूमधाम से मन रही कृष्ण जन्माष्टमी, मंदिरों में विशेष आयोजन

धर्म: 16 अगस्त 2025 को देशभर में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण के 5252वें जन्मोत्सव के अवसर पर मंदिरों में विशेष आयोजन और घरों में पूजा-पाठ हो रही है। इस वर्ष अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग से जन्माष्टमी का महत्व और भी बढ़ गया है।
जन्माष्टमी पर पूजा का समय और मुहूर्त
- अष्टमी तिथि का प्रारंभ: 15 अगस्त 2025, रात 11:49 बजे
- अष्टमी तिथि का समापन: 16 अगस्त 2025, रात 9:34 बजे
- निशिता पूजा मुहूर्त (मध्यरात्रि पूजा): 16 अगस्त को रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक।
- कुल अवधि: लगभग 43 मिनट
- मध्यरात्रि का क्षण: 16 अगस्त को देर रात 12:26 बजे
- व्रत का पारण: 17 अगस्त को सुबह 5:51 बजे के बाद।
जन्माष्टमी पर बन रहे शुभ योग
इस साल जन्माष्टमी पर कई दुर्लभ और शुभ योग बन रहे हैं, जो पूजा और व्रत के फल को कई गुना बढ़ा देते हैं।
- वृद्धि योग: इस योग में पूजा-पाठ करने से कार्यों में वृद्धि होती है और शुभ फल प्राप्त होते हैं।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: इस योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- अमृत सिद्धि योग: यह योग सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
- राजयोग: कुछ ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस बार 190 साल बाद राजराजेश्वर योग का भी निर्माण हो रहा है, जो कुछ राशियों के लिए बेहद शुभ माना जा रहा है।
जन्माष्टमी व्रत और पूजा विधि
- जन्माष्टमी के दिन भक्त सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं।
- पूरे दिन उपवास रखकर रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का इंतजार किया जाता है।
- मध्यरात्रि में, भक्त भगवान कृष्ण की मूर्ति को झूला झुलाते हैं, अभिषेक करते हैं, नए वस्त्र पहनाते हैं और उन्हें 56 भोग अर्पित करते हैं।
- पूजा के बाद आरती की जाती है और व्रत का पारण किया जाता है।
- कई शहरों में, खासकर मथुरा और वृंदावन में, इस दिन दही हांडी का उत्सव भी मनाया जाता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शहरों के अनुसार चंद्रोदय और पूजा का समय थोड़ा भिन्न हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंचांग के अनुसार ही पूजा करना सबसे अच्छा है।