सावन के पावन शनिवार को कैसे करें हनुमान और शनिदेव की पूजा

सावन का महीना हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। यह महीना भगवान शिव की भक्ति और तप का काल होता है, लेकिन इसी दौरान यदि शनिवार पड़ जाए तो उसका विशेष धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व होता है। शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है और इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि हनुमान जी की आराधना शनिदेव के क्रोध को शांत करती है और जातक के जीवन में सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि लाती है। विशेष रूप से सावन के शनिवार को की गई पूजा अनेक गुणा फलदायी मानी जाती है। आइए जानते हैं कि सावन के शनिवार को हनुमान जी और शनिदेव की पूजा कैसे करें और किन बातों का ध्यान रखें।
सुबह उठकर करें शुद्ध स्नान और व्रत का संकल्प सावन के शनिवार को पूजा करने वाले व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव, हनुमान जी और शनिदेव की पूजा का संकल्प लें। अगर आप व्रत कर रहे हैं तो मन में निश्चय करें कि दिन भर सात्विक आहार लेंगे और नियमपूर्वक पूजा करेंगे। हनुमान जी की पूजा विधि हनुमान जी की पूजा सबसे पहले करें क्योंकि वे शनिदेव के सबसे प्रिय भक्त हैं। कहा जाता है कि शनिदेव हनुमान जी से डरते हैं और जहां इनकी कृपा होती है, वहां शनि का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।
हनुमान जी की पूजा ऐसे करें: हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र को पूर्व दिशा की ओर रखें। उन्हें लाल चोला अर्पित करें और सिंदूर से उनका श्रृंगार करें। गुड़, चना और तुलसी पत्र चढ़ाएं। “ॐ हं हनुमते नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। श्रीराम नाम का स्मरण करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती करें और हनुमान जी से जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें। शनिदेव की पूजा विधि शनिदेव न्याय के देवता हैं और व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। अगर आपकी कुंडली में शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है तो शनिदेव की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है।
शनिदेव की पूजा ऐसे करें: शनिदेव की मूर्ति या चित्र को काले वस्त्र पर स्थापित करें। उन्हें काले तिल, काला कपड़ा, सरसों का तेल और नीले फूल अर्पित करें। “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें। सरसों के तेल का दीपक जलाएं और तेल से शनिदेव को अभिषेक करें (प्रतिमा पर नहीं, पीतल की थाली में)। शनिचालीसा और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें। अंत में शनिदेव से क्षमा मांगें और उनके आशीर्वाद की कामना करें। क्यों साथ में होती है हनुमान और शनि की पूजा?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार शनिदेव ने हनुमान जी से मिलने की इच्छा व्यक्त की लेकिन उन्होंने पहले ही जान लिया कि शनिदेव उन्हें कष्ट देंगे। इसलिए उन्होंने शनिदेव को अपने पूंछ में बांध लिया और उन्हें बहुत कष्ट दिया। तब शनिदेव ने वचन दिया कि जो भी भक्त हनुमान जी की सच्ची भक्ति करेगा, उन्हें शनि पीड़ा नहीं देगा। इस कारण शनिदेव की शांति के लिए हनुमान जी की पूजा पहले की जाती है। विशेष सुझाव शनिवार को किसी जरूरतमंद को काले तिल, काले कपड़े या लोहे का दान करें। गरीबों को अन्न, तेल और उड़द की दाल का दान करने से भी शनि दोष शांत होता है। इस दिन मांस, मदिरा और नकारात्मक विचारों से दूर रहें। किसी वृद्ध या बीमार की सेवा करें, यह शनि के विशेष दोषों को दूर करता है।



