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भारत-जापान संबंध और मजबूत होंगे: पीएम मोदी का 7 साल बाद पहला स्टैंडअलोन दौरा, टोक्यो में होगी अहम बैठक

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 नई दिल्ली: ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के ऐलान से उपजे तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को जापान के दो दिन दौरे पर रवाना हो गए। यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत न केवल अमरीका के साथ व्यापारिक तनातनी झेल रहा है, बल्कि इंडो-पैसिफिक रीजन में स्ट्रेटेजिक बैलेंस साधने की भी कोशिश कर रहा है। इस दौरे की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि यह पीएम मोदी का पिछले सात सालों में जापान का पहला स्टैंडअलोन दौरा है।प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को टोक्यो पहुंचेंगे, जहां वह अपने जापानी काउंटरपार्ट शिगेरु इशिबा के साथ 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे। इस दौरान रक्षा सहयोग, व्यापार और निवेश, क्वाड ग्रुपिंग, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से लेकर सेमीकंडक्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तक कई अहम मुद्दों पर बातचीत होगी। साथ ही जापान द्वारा भारत में अगले दशक में 68 बिलियन डॉलर निवेश की घोषणा इस दौरे का सबसे बड़ा आकर्षण बनने वाली है।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी कि मोदी-इशिबा मुलाकात में क्वाड समूह (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमरीका) पर विशेष चर्चा होगी। हाल ही में अमरीका द्वारा भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने के कारण क्वाड की एकजुटता पर सवाल उठे हैं। ऐसे में यह बैठक क्वाड को मजबूती देने और इंडो-पैसिफिक रीजन में शांति व स्थिरता सुनिश्चित करने के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है। क्वाड के तहत स्वास्थ्य, उभरती टेक्नोलॉजीज, सप्लाई चेन और इंफ्रास्ट्रक्चर में सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा होगी। मोदी और इशिबा से उम्मीद है कि वे ज्वाइंट प्रोजेक्ट और न्यू कोऑपरेशन फ्रेमवर्क पर सहमति जताएंगे। भारत-जापान रक्षा संबंध हाल के वर्षों में मजबूत हुए हैं और अब इन्हें एक नई ऊंचाई पर ले जाने की तैयारी है। दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच शिप मेंटेनेंस सहयोग पर बातचीत जारी है। साथ ही, भारत का डीआरडीओ और जापान की एटीएलए के बीच रक्षा उपकरण और तकनीक साझा करने की दिशा में चर्चाएं चल रही हैं।

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