उत्तराखंड

अब नहीं चलेगा नियमों का उल्लंघन: MDDA ने ऋषिकेश में ढहाए अवैध निर्माण

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देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने अवैध निर्माणों पर सख्त कार्रवाई की है। एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने स्पष्ट कहा कि नियमों को ताक पर रखकर किए जा रहे अनधिकृत निर्माण किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने ऋषिकेश और आसपास के क्षेत्रों में कई अवैध निर्माणों के विरुद्ध सीलिंग की कार्यवाही करते हुए ऋषिकेश शहर में अखण्ड आश्रम गली नं0-4, आवास विकास के समीप श्री पुजारा, एंव विस्थापित गली न-10 एंव 11 में बहुमंजिला इमारतों पर कार्यवाही करते हुए निर्माणों को सील किया।

एमडीडीए सचिव मोहन सिंह बर्निया द्वारा गठित टीम में संयुक्त सचिव सचिव शामिल रहे। वीसी एमडीडीए ने सख्त निर्देश दिये है कि जो भी मानचित्र स्वीकृति के बिना अवैध निर्माण करेगा उसके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही प्राधिकरण द्वारा अमल में लायी जायेगी और आगे भी अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्यवाही निरन्तर जारी रहेगी। विशेष रूप से गली नंबर-10, निर्मल बाग बी, विरशानित, ऋषिकेश में लगभग 20×30 फीट क्षेत्रफल में भू-तल से लेकर तृतीय तल तक बिना स्वीकृति का निर्माण पाया गया। यह उत्तराखण्ड नगर एवं ग्राम नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 का स्पष्ट उल्लंघन था। प्राधिकरण ने पहले ही निर्माणकर्ताओं को नोटिस जारी किया था, लेकिन समयावधि में कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।  इसके बाद 25 अगस्त 2025 को अंतिम अवसर दिया गया, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद एमडीडीए ने उक्त भवन को सील कर दिया गया। पुलिस बल की मौजूदगी में सीलिंग की कार्रवाई की गई।

एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने कहा मुख्यमंत्री के निर्देश पर अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। जो लोग बिना अनुमति निर्माण कर रहे हैं, उनके खिलाफ आगे भी इसी तरह की कार्यवाही जारी रहेगी। मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए)  क्षेत्र अतंर्गत नियमों का उल्लंघन किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ऋषिकेश में सीलिंग के आदेशित प्रमुख मामलेः-निर्मल बाग, गली नंबर 11 :मनीष अग्रवाल द्वारा 30×70 फीट क्षेत्रफल पर प्रथम और द्वितीय तल का निर्माण नियम विरूद्व किया जा रहा था। प्राधिकरण ने पहले ही निमार्णकर्ता को नोटिस जारी किया था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अवैध निर्माण को सील कर दिया गया। गली नंबर 11 : रघुन शर्मा द्वारा 30×50 फीट क्षेत्र पर भू-तल और प्रथम तल का अवैध निर्माण। नोटिस के बावजूद नियम विरूद्व किया जा रहा था। प्राधिकरण ने पहले ही निमार्णकर्ता को नोटिस जारी किया था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अवैध निर्माण को सील कर दिया गया।

वीरभद्र रोडः प्रदीप दुबे द्वारा अवैध निर्माण। पहले अधूरी कार्रवाई हुई थी। पुलिस बल की मदद के साथ नियम विरूद्व अवैध निर्माण को सील कर दिया गया। निर्मल बाग, गली नंबर 10ः रवि द्वारा 30×40 फीट में तीन मंजिला अवैध निर्माण नियम विरूद्व किया जा रहा था। प्राधिकरण ने पहले ही निमार्णकर्ता को नोटिस जारी किया था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अवैध निर्माण को सील कर दिया गया। निर्मल बाग, गली नंबर 11 : श्री विपिन चौधरी द्वारा 30×100 फीट क्षेत्र पर स्कूल और कॉलोनी का निर्माण नियम विरूद्व किया जा रहा था। प्राधिकरण ने पहले ही निमार्णकर्ता को नोटिस जारी किया था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अवैध निर्माण को सील कर दिया गया।
हरिद्वार रोड, कोयल ग्रांट : स्वामी दयानंद महाराज जी द्वारा मानचित्र के विपरीत निर्माण नियम विरूद्व किया जा रहा था। प्राधिकरण ने पहले ही निमार्णकर्ता को नोटिस जारी किया था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अवैध निर्माण को सील कर दिया गया।

रेड फोर्ट रोड स्कूल के पासः सुरेंद्र सिंह बिष्ट द्वारा 25×60 फीट पर तृतीय तल का अवैध निर्माण। नोटिस के बावजूद कोई मानचित्र नहीं। नियम विरूद्व अवैध निर्माण किया जा रहा था। प्राधिकरण ने पहले ही निमार्णकर्ता को नोटिस जारी किया था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अवैध निर्माण को सील कर दिया गया।

गली नंबर 4, होटल गंगा अशोक के पासः अनीता पुजारा द्वारा 26×50 फीट पर कॉलोनी निर्माण। नियम विरूद्व अवैध निर्माण किया जा रहा था। प्राधिकरण ने पहले ही निमार्णकर्ता को नोटिस जारी किया था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अवैध निर्माण को सील कर दिया गया।

निर्मल ब्लॉक बी, गली नंबर 11ःअनुज द्वारा 60×50 फीट क्षेत्र में कॉलम निर्माण। नियम विरूद्व अवैध निर्माण किया जा रहा था। प्राधिकरण ने पहले ही निमार्णकर्ता को नोटिस जारी किया था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अवैध निर्माण को सील कर दिया गया। निर्मल बाग, गली नंबर 11 : श्री सागर द्वारा 20×50 फीट क्षेत्र पर नियम विरूद्व अवैध निर्माण किया जा रहा था। प्राधिकरण ने पहले ही निमार्णकर्ता को नोटिस जारी किया था लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अवैध निर्माण को सील कर दिया गया।

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